शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

कभी अपने घर भी - गुलज़ार

गुलज़ार साहब की कुछ पंक्तियों की कवितायें - "त्रिवेणियाँ" . एक फूस के घर को देखकर याद आई उन्ही त्रिवेनियों में से एक. आप भी देखिये वो फूस का घर और खुदा को दिया गया न्यौता....