रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

उन्हें समर्पित, जिन्हें पढ़ना हमेशा ख़ुद को कुरेदना भी रहा। बकौल मिर्ज़ा ग़ालिब - "रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो ग़ालिब, सुनते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था"

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बुधवार, 17 जुलाई 2013

हबीब जालिब - कविता पोस्टर




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1:47 amरजनीश 'साहिलग़ज़ल, नज़्म, पाकिस्तानी शाइरी, पोस्टर, हबीब जालिब

मंगलवार, 18 जून 2013

दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर





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2:12 pmरजनीश 'साहिलदुष्यंत कुमार, पोस्टर
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