मंगलवार, 1 जून 2010

वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं - अदम गोंडवी

अपनी रचनाओं के द्वारा व्यवस्था पर, चाहे वह सामाजिक हो या राजनैतिक, करारी चोट करने वाले रचनाकारों में से अदम गोंडवी एक जाना-पहचाना नाम है। सामाजिक रूढ़ियों, द्वंद से मन में उठे आक्रोश को अदम गोंडवी जी की रचनाओं में बड़ी ही संवेदना और प्रखरता से महसूस किया जा सकता है। प्रस्तुत है अदम गोंडवी जी की एक ग़ज़ल......

वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं
वे अभागे आस्था विश्वास लेकर क्या करें

लोकरंजन हो जहां शम्बूक-वध की आड़ में
उस व्‍यवस्‍था का घृणित इतिहास लेकर क्या करें

कितना प्रतिगामी रहा भोगे हुए क्षण का इतिहास
त्रासदी, कुंठा, घुटन, संत्रास लेकर क्या करें

बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है
ठूंठ में भी सेक्स का एहसास लेकर क्या करें

गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे
पारलौकिक प्यार का मधुमास लेकर क्या करें