साथियो, आज रामधारी सिंह "दिनकर" की पुण्यतिथि है। प्रस्तुत है दिनकर जी की एक कविता। कुछ समय पहले कहीं पढ़ी थी, पर कहां याद नहीं। शीर्षक क्या है मुझे नहीं पता, यदि किसी को पता हो कृपया बताएं -
हृदय छोटा हो
तो शोक वहां नहीं समाएगा
और दर्द दस्तक दिये बिना
दरवाजे से लौट जाएगा
टीस उसे उठती है
जिसका...
शनिवार, 24 अप्रैल 2010
मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
मैं तुम लोगों से इतना दूर हूँ - मुक्तिबोध
मैं तुम लोगों से इतना दूर हूँ
तुम्हारी प्रेरणाओं से मेरी प्रेरणा इतनी भिन्न है
कि जो तुम्हारे लिए विष है, मेरे लिए अन्न है।
मेरी असंग स्थिति में चलता-फिरता साथ है
अकेले में साहचर्य का हाथ है
उनका जो तुम्हारे द्वारा गर्हित हैं
किन्तु वे मेरी व्याकुल आत्मा में बिम्बित हैं,
पुरस्कृत हैं
इसीलिए, तुम्हारा...
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
सूरज को नहीं डूबने दूंगा... - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा।
देखो मैंने कंधे चौडे़ कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर
खड़ा होना मैंने सीख लिया है।
घबराओ मत
मैं क्षितिज पर जा रहा हूँ।
सूरज ठीक जब पहाड़ी से लुढ़कने लगेगा
मैं कंधे अड़ा दूंगा
देखना वह वहीं ठहरा होगा।
अब मैं सूरज को नहीं डूबने...