बुधवार, 13 जुलाई 2011

यह बच्चा कैसा बच्चा है

इब्ने इंशा जी की मशहूर नज्Þम 'कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा' तो सभी ने सुनी होगी। और इस नज्Þम की खूबसूरती में कई बार डूबे भी होंगे। अपने प्रियतम की खूबसूरती को बड़े ही दिलकश अंदाज से बयां किया है इंशा जी ने। हर लफ्ज़ में प्रेम छलकता है। लेकिन प्रेम की इस खूबसूरत रचना का सृजन करने वाले इंशा...

गुरुवार, 17 मार्च 2011

हबीब जालिब, साथी सचिन की कलम से...

अभी तक तो जो कुछ इस ब्लाग पर प्रस्तुत करता रहा, वह अकेले की पसंद थी। लेकिन पिछले दिनों एक लेखक को एक साथी के साथ पढ़ा। मेरे उन साथी ने उस लेखक का पूरा जीवन चित्र ही उकेर दिया है अपने ब्लाग पर। यहां उसी पोस्ट का लिंक दे रहा हूं। इस उम्मीद के साथ कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप खुद को उस शायर के रूबरू...

रविवार, 13 मार्च 2011

चाँद ने क्या-क्या मंज़िल कर ली

यूं तो चाँद तकरीबन हर शायर का प्रिय विषय रहा है, लेकिन इब्ने इंशा का चाँद जैसे उनका ही कोई हिस्सा है। गिनी-चुनी ही रचनाएं होंगी जिनमें इंशा जी ने चाँद का ज़िक्र न किया हो। मोहब्बत का कारोबार समझाते हुए चाँद के तौर-तरीके भी नुमायां हैं इस ग़ज़ल में...  सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात...

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

हर एक चीज़ वही हो जो है - फैज़ अहमद 'फैज़'

फैज़ अहमद 'फैज़' का नाम हर किसी के लिए इतना जाना पहचाना है कि उनके बारे में कुछ कहना.... कुछ कहने की ज़रूरत भी क्या है। बस आज उनके जन्मदिन पर उन्हीं की एक नज़्म से उन्हें याद कर लिया जाए...  तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो हैआसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मयऔर...