शनिवार, 24 मार्च 2012

मेरे गीत तुम्हारे पास

दुष्यंत कुमार को बहुत पहले से पढ़ते-गाते आ रहा हूँ. जब-तब उनका लिखा होंठों पर थिरकता रहता है. प्रस्तुत है दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल... मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे हौले—हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत हम सब अपने—अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे थोड़ी...

रविवार, 26 फ़रवरी 2012

सज़ा और सवाल - अहमद फ़राज़

एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ? मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने, आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ? साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ? ---------- एक संग-...