एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ?
मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ?
साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ?
----------
एक संग-...