रविवार, 26 फ़रवरी 2012

सज़ा और सवाल - अहमद फ़राज़

एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ? मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने, आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ? साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ? ---------- एक संग-...