रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...
उन्हें समर्पित, जिन्हें पढ़ना हमेशा ख़ुद को कुरेदना भी रहा। बकौल मिर्ज़ा ग़ालिब - "रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो ग़ालिब, सुनते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था"
Search
Dribbble
Facebook
Flickr
Instagram
Pinterest
Tumblr
Twitter
RSS Feed
Sample Text
Unordered List
Search for:
बुधवार, 17 जुलाई 2013
हबीब जालिब - कविता पोस्टर
...
Read More
← नई पोस्ट
पुराने पोस्ट →
मुख्यपृष्ठ
Popular Posts
हबीब जालिब - कविता पोस्टर
दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर
मेरे गीत तुम्हारे पास
दुष्यंत कुमार को बहुत पहले से पढ़ते-गाते आ रहा हूँ. जब-तब उनका लिखा होंठों पर थिरकता रहता है. प्रस्तुत है दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल... मेर...
गुलामी - रघुवीर सहाय.
खिलौने - कैफ़ी आज़मी
रेत की नाव, काठ के माँझी काठ की रेल, सीप के हाथी हल्की भारी प्लास्टिक की किलें मोम के चाक जो रुकें न चलें राख के खेत, धूल के खलियान भा...
तीन रुपये किलो - अष्टभुजा शुक्ल
छोटे-छोटे घरों तक पहुँचे अमरूद नाक रख ली फलों की बिके चार रुपए किलो नमक-मिर्च से भी खा लिए गए छिलके और बीज तक कर दिए समर्पित तर गए पैसे अमर...
शहर-दर्-शहर घर जलाये गए - नासिर काज़मी
पाकिस्तान के मकबूल शायरों में से एक जनाब नासिर काज़मी की ग़ज़ल आपके रु-ब-रु है। नासिर काज़मी की पाकिस्तान के तरक्कीपसंद शाइरों में अपनी अलग ...
यह बच्चा कैसा बच्चा है
इब्ने इंशा जी की मशहूर नज्Þम 'कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा' तो सभी ने सुनी होगी। और इस नज्Þम की खूबसूरती में कई बार डू...
सज़ा और सवाल - अहमद फ़राज़
एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ? मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ? मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने, आँसू हू...
घिन तो नहीं आती है ? - नागार्जुन
पूरी स्पीड में है ट्राम खाती है दचके पै दचका सटता है बदन से बदन – पसीने से लथपथ। छूती है निगाहों को कत्थई दांतों की मोटी मुस्कान बेतरतीब मूं...
Categories
अदम गोंडवी
(1)
अवतार सिंह "पाश"
(1)
अष्टभुजा शुक्ल
(1)
अहमद फ़राज़
(1)
आक्रोश
(2)
इब्ने इंशा
(2)
उम्मीद
(1)
कविता
(8)
कैफ़ी आज़मी
(2)
ग़ज़ल
(7)
गुलज़ार
(1)
चाँद
(1)
जीवन चित्र
(1)
डूबना
(1)
दिनकर
(1)
दुष्यंत कुमार
(2)
धूमिल
(1)
नज़्म
(1)
नागार्जुन
(1)
नासिर काज़मी
(1)
पाकिस्तानी शाइरी
(5)
पोस्टर
(5)
फैज़ अहमद 'फैज़'
(1)
मंगलेश डबराल
(1)
मुक्तिबोध
(1)
रघुवीर सहाय
(1)
व्यवस्था
(3)
शहरयार
(1)
समाज व्यवस्था
(2)
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(2)
सूरज
(1)
हबीब जालिब
(2)
हरिओम राजोरिया
(1)
Archive
▼
2013
(2)
▼
जुलाई
(1)
हबीब जालिब - कविता पोस्टर
►
जून
(1)
►
2012
(2)
►
मार्च
(1)
►
फ़रवरी
(1)
►
2011
(4)
►
जुलाई
(1)
►
मार्च
(2)
►
फ़रवरी
(1)
►
2010
(11)
►
अगस्त
(3)
►
जून
(2)
►
अप्रैल
(3)
►
फ़रवरी
(2)
►
जनवरी
(1)
►
2009
(8)
►
अगस्त
(3)
►
जुलाई
(2)
►
जून
(1)
►
अप्रैल
(2)