मंगलवार, 2 जून 2009

हँसो तुम पर निगाह रखी जा रही है - रघुवीर सहाय

वैसे तो रघुवीर सहाय का नाम सुनते ही मुझे "पढ़िये गीता बनिये सीता" कविता याद आ जाती है, पर कुछ ही दिन पहले यह कविता पढ़ी। एक हँसी के बहाने कितना कुछ कह दिया गया है इस कविता में... हँसो तुम पर निगाह रखी जा रही हैहँसो, अपने पर न हँसना क्योंकि उसकी कड़वाहट पकड़ ली जाएगीऔर तुम मारे जाओगेऐसे हँसो कि बहुत खुश...